6 अगस्त 2016

दिल का दामन ख़ुशी से भर डाला - नवीन

दिल का दामन ख़ुशी से भर डाला
हाय! फिर से क़ुसूर कर डाला
जो इसे करना ही न था आबाद
तो मुहब्बत में क्यों असर डाला
तब ख़ला से निकल सका अमरित
जब इस अन्धे कुएँ में घर डाला
पूजने होंगे उस के पाँव हमें
जिस ने भी इश्क़ में हुनर डाला
रब को मालूम था ये नादाँ है
इसलिये ही तो दिल में डर डाला
उड़ पड़ा शेर हम ने जैसे ही
उस में एक लफ़्ज़ चश्मेतर डाला
अक्सर ऐसा भी लगता है रब ने
वाँ जो ख़ारिज़ हुआ, इधर डाला
कुल जिरह इस पे है कि पहलेपहल
पाँव किस ने ज़मीन पर डाला
कैसे-कैसे हसीन गुंचे थे
एक हवस ने सभी को चर डाला
हमने सोचा कि ये तो चुहिया है
ज़िन्दगी ने हमें कुतर डाला
ख़ुद से मिल कर ‘नवीन’ लगता है
हम ने क्यों ओखली में सर डाला
नवीन सी चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22

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