19 अगस्त 2016

भैया अपनी ब्रजभासा की हालत अच्छी नाँय - नवीन



भैया! अपनी ब्रजभासा की हालत अच्छी नाँय
*************************************** 

हम खुस हैं लेकिन मैया की हालत अच्छी नाँय। 
कनुप्रिया रवि की तनुजा१ की हालत अच्छी नाँय॥ 

कौन सौ म्हों लै कें मनमोहन के ढिंग जामें हम।
वृन्दा के वन में वृन्दा२ की हालत अच्छी नाँय॥

गोप-गोपिका-गैया-बछरा-हरियाली-परबत।
नटनागर तेरे कुनबा की हालत अच्छी नाँय॥ 

बस इतनौ सन्देस कोऊ कनुआ तक पहुँचाऔ। 
श्याम! कदम्बन की छैंया की हालत अच्छी नाँय॥ 

सूधे-सनेह के मारग सों ऐसे-ऐसे गुजरे। 
मिटौ तौ नाँय मगर रस्ता की हालत अच्छी नाँय॥ 

झूठे-झकमारे लोगन की ऐसी किरपा भई।  
आज सत्यभाषी बट्टा३ की हालत अच्छी नाँय॥ 

जो''नवीन' उपाय है सकें, करने'इ होमंगे। 
भैया! अपनी ब्रजभासा की हालत अच्छी नाँय॥ 

१ यमुना २ वृन्दा यानि तुलसी का वन वृन्दावन ३ दर्पण


नवीन सी चतुर्वेदी 
ब्रज-गजल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें