पर्वतों के बीच फैली घाटियां
घाटियों में मुस्कुराती वादियां
वादियों में तैरती चंचल हवा
और हवा कहती तमाम कहानियाँ
कितने हैं नजदीक धरती - आसमाँ
एक दूजे पे हों जैसे मेहरबाँ
ये नज़ारा देख के रब दी कसम
ज़िस्म-ओ-जाँ लेने लगें अँगङाइयाँ
देखते बनती है तारों की चमक
करती है मदहोश फूलों की महक
ज़िन्दगी बन के परी नाचे यहाँ
इस सिरे से उस सिरे तक बेधङक
झुंड में झरने करें अठखेलियाँ
झीलों का साम्राज्य फैला है यहाँ
बस यहीं पे रंज़ोगम शिक़वे - गिले
बारहों महीने मनाते छुट्टियाँ
धूप की दादागिरी है बेअसर
शबनमी कालीन फैली हर डगर
कानों में बजती हों जैसे घंटियाँ
बादलों के बीच होता है सफर
मन थका, आराम पाता है यहां
दिल खुशी के गीत, गाता है यहाँ
आप भी महसूस कर के देख लो
ज़िन्दगी का लुत्फ़ आता है यहाँ
बहुत सुन्दर वर्णन .... अम्बे वेळी वाकई में बहुत सुन्दर है ...
ReplyDeleteजी नूतन जी, काफ़ी सुंदर स्थान है ये| मुझे सौभाग्यवश वहाँ करीब ४-५ महीने रहने का मौका मिला, उसी दौरान लिखी था ये| आपको पसंद आया, मेरे लिए सौभाग्य की बात है|
ReplyDeleteWaah Navin ji kitni sundar chhataa bikheri hai aapne prakritik saundarya ki ..mann kho hi gayaa vaadiyon mein :)
ReplyDeleteji lata ji ye sthal hai hi aisa..........abhar
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत जगह है एम्बे वैली लेकिन हर किसी को वहाँ जाने नहीं देते मुंबई से पास लेना पड़ता है...
ReplyDeleteनीरज