भोजपुरी नवगीत - गइल भँइसिया पानी में – सौरभ पाण्डेय

 


गइल भँइसिया पानी में अब

कइल-धइल सब

बंटाधार !

 बान्हब पगहा

रउए ढूँसी

सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसी

घींच-घाँच ले आईं रउआ

करीं फेर से

चारा-भूँसी !

 

परल कपारे सपना राउर

भँइस बन्हाइल..  अबकी बार !

गइल भँइसिया पानी में अब

कइल-धइल सब बंटाधार !

 

कहवाँ-कहवाँ ई धावेले

अपने लीलल पगुरावेले

कतनो कोंचीं

कतनो छान्हीं

अपने मन के सब गावेले

 

मनमउजी ई भँइस लिआइल

मुहवाँ मारे..

आन्ह दुआर !

गइल भँइसिया पानी में अब

कइल-धइल सब बंटाधार !

 

रउए देखीं आपन लीला

घर के आँटा कइनीं गीला

खूब पेन्हाइब पाछा, पहिले -

चोत बटोरीं

लागल टीला

 

कूल्हि कइल्का गोबर कइलस

अपने भँइसी

हऽ सरकार !

गइल भँइसिया पानी में अब

कइल-धइल सब बंटाधार !

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