ब्रजगजल - यत्न कर-कर कें लाख हारे लोग - डॉ. प्रमोद सागर

 


यत्न कर-कर कें लाख हारे लोग 

अब कहाँ जामें ये बिचारे लोग

 ये कि जिननें चमन उजार्यौ है

कछ हमारे हैं कछ तुम्हारे लोग

 

करवे भेजे गगन की रखवारी

तोर कें लै गये सितारे लोग

 

मुस्कुरामें हैं अपनी हालत पै

बस्स हम जैसे गम के मारे लोग

 

अब कहाँ तक लड़ें जमाने सों

द्वै अपुन और इत्ते सारे लोग

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