सॉनेट - हम तुम्हारी बात सुनना चाहते हैं - नकुल गौतम



छू नहीं पाये कभी गेसू तुम्हारे

दस्तरस थी फूल की बस डायरी तक

बात होठों तक नहीं पहुँची हमारे

इश्क सिमटा रह गया बस शायरी तक

 

आरज़ू दिल की बहुत मासूम सी थी

दोस्तों में नाम शामिल हो तुम्हारे 

हो कोई तक़लीफ़ या घड़ियाँ खुशी की

दिल तुम्हारा बे झिझक हमको पुकारे

 

तय नहीं कर पाये हम इतनी भी दूरी

और आखर भी तो साहिर हो न पाये

हो नहीं पाई कभी भी बात पूरी

आह! एहसासात ज़ाहिर हो न पाये

 

अब नया किरदार चुनना चाहते हैं

हम तुम्हारी बात सुनना चाहते हैं

  

6 टिप्‍पणियां:

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