कुछ भी नहीं है बाकी बाज़ार चल रहा है - सालिम सलीम



कुछ भी नहीं है बाकी बाज़ार चल रहा है
ये कारोबारे-दुनिया बेकार चल रहा है

वो जो ज़मीं पे कब से एक पाँव पे खड़ा था
सुनते हैं आसमाँ के उस पार चल रहा है

कुछ मुज़्महिल सा मैं भी रहता हूँ अपने अन्दर
वो भी कई दिनों से बीमार चल रहा है

शोरीदगी हमारी ऐसे तो कम न होगी
देखो वो हो के कितना तैयार चल रहा है

तुम आओ तो कुछ उस की मिट्टी इधर-उधर हो
अब तक तो दिल का रसता हमवार चल रहा है

मुज़्महिल – थका-माँदा, शोरीदगी – जुनून,  हमवार – सपाट, सीधा, चिकना, बिना ऊबड़-खाबड़ वाला

सालिम सलीम
9540601028



बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़
मुख़न्नक मक़्सूर
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122


1 टिप्पणी:

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.