तान दें पताका उच्च हिंद की जहान में

ध्यान दें समाज पर अग्रज हमारे सब,
अनुजों की कोशिशों को बढ़ के उत्थान दें|

उत्थान दें
जन-मन रुचिकर रिवाजों को,

भूत काल वर्तमान भावी को भी मान दें|

मान दें
मनोगत विचारों को समान रूप,
हर बार अपनी ही जिद्द को न तान दें|

तान दें
पताका उच्च हिंद की जहान में औ,

उस के तने रहने पे भी फिर ध्यान दें||

सांगोपांग सिंहावलोकन छन्‍द:-
घनाक्षरी कवित्त की तरह ८+८+८+७ = ३१ अक्षर / वर्ण
अंत में गुरु वर्ण
पहले चरण के अंत के शब्द दूसरे चरण के शुरू में, दूसरे के तीसरे, तीसरे के चौथे चरण के शुरू में आने चाहिए
चौथे चरण के अंत के शब्द पहले चरण के शुरू के शब्दों के समान होने चाहिए
प्रस्तुत छंद में 'दें' शब्द सम्मिलित और अर्थ पूर्ति करने वाला शब्द है

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