10 अक्तूबर 2010

खेत का भविष्य

खेतों को काट के इमारतें
बनती ही जा रही हैं
जहाँ देखो -
बेइन्तेहा
तनती ही जा रही हैं

चिन्ता होती है
अगर कोन्क्रीट के ये जंगल
युंही फैलते जायेंगे
तो एक दिन
हम अपनी आने वली पीढी को
म्यूजियम में ले के जायेंगे
और बतायेंगे
देखो देखो
वो जो मिट्टी का मैदान
दूर दूर तक
फैला हुआ दिखता है
एक जमाने में
वो खेत कहलाता था
फसल उगाता था
वसुधैव कुटुम्बकम का
पाठ सिखलाता था
हिनदुस्तान को दुनिया में
सबसे अलग दिखलाता था

देखो आज ये किस तरह
हमको चिढा रहा है
फिलहाल
म्यूजियम की
टिकटें
बिकवा रहा है


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