कुछ गालों की, कुछ होठों की,
साँसों की और हया की है
मेरी बाँहों मैं आज तलक, तेरे हुस्न की ख़ुशबू बाकी है तिरछी नज़रें, क़ातिल चितवन, उस पर आँखों का अलसाना
तेरा इसमें कुछ दोष नहीं, पलकों ने रस्म अदा की है गोरी काया चमकीली सी, लगती है रंग रँगीली सी
दिलवाली छैल छबीली सी, तेरी हर बात बला की है फूलों सा नरम, मखमल सा गरम, शरबत सा मधुर, मेघों सा मदिर
तेरा यौवन मधुशाला है, मेरी अभिलाषा साकी है
मेरी बाँहों मैं आज तलक, तेरे हुस्न की ख़ुशबू बाकी है तिरछी नज़रें, क़ातिल चितवन, उस पर आँखों का अलसाना
तेरा इसमें कुछ दोष नहीं, पलकों ने रस्म अदा की है गोरी काया चमकीली सी, लगती है रंग रँगीली सी
दिलवाली छैल छबीली सी, तेरी हर बात बला की है फूलों सा नरम, मखमल सा गरम, शरबत सा मधुर, मेघों सा मदिर
तेरा यौवन मधुशाला है, मेरी अभिलाषा साकी है
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