कभी तो वक़्त मुस्कुराएगा, घड़ी को
गुदगुदी लगाता हूँ। बड़े ही सहज भाव से एक बड़ी बात कह देने का हुनर लेखक, पत्रकार और कवि हीरेंद्र झा को जैसे वरदान में मिला है। उनकी दूसरी किताब
माय बुक्स प्रकाशन से प्रकाशित ‘एक ख़्वाब’ 68 कविताओं का एक संग्रह है। पुस्तक में प्रेम और जीवन ही नहीं समाज और
राजनीति से प्रेरित भी कुछ रचनायें हैं। यह कवितायें कवि की सहज मन की अभिव्यक्ति
हैं। कहीं-कहीं यह किताब एक टूटते मन को हिम्मत देने का काम भी करती है तो
कहीं-कहीं जीवन दर्शन को एक नया आयाम रचती यह कवितायें पाठकों के दिल को छू जाती
हैं। कुछ कविताओं में कवि ने कुछ दिलचस्प मुहावरों का प्रयोग भी किया है जो कविता
को एक अलग तरह की गहराई देती है। कहीं-कहीं हास्य और व्यंग्य के भाव भी मुखर होते
हैं तो कहीं आपकी पलकें भी गीली हो जाती हैं। यह किताब पढ़ने वालों के लिए एक ट्रीट
की तरह है। कवि ने यह पुस्तक अपनी सभी पूर्व प्रेमिकाओं को समर्पित किया है। बता
दें कि लेखक की यह दूसरी किताब है। इससे पहले 2018 में आई उनकी पहली किताब 'मीडिया के दिग्गज' भी काफी चर्चित रही। जिसमें टीवी, अख़बार और
रेडियो के दिग्गजों के इंटरव्यू प्रकाशित हुए थे। लेखक की दोनों पुस्तक अमेज़न पर
उपलब्ध हैं। जल्द ही लेखक की तीसरी पुस्तक भी बाज़ार में आ रही है।
एक छोटी सी कविता इसी पुस्तक से-
"उम्मीदें जो थक गयी होगी
भीतर से चटक गयी होगी
कई दिन हुए देखा नहीं है
खुशियां भटक गयी होगी
बोलने वाले भी चुप हैं शायद
कोई बात खटक गयी होगी
क्या याद हम भी आये होंगे
क्या वे पलकें छलक गयी होगी
क्या सब के सब बहरे ही होंगे
आवाज़ तो दूर तलक गयी होगी!"
वाह अति सुन्दर
ReplyDeletevery Beautifull
ReplyDeleteबोलने वाले भी चुप हैं शायद
ReplyDeleteकोई बात खटक गयी होगी,,,,,,,, बहुत सुंदर रचना ।