कभी
तो दीन के दुखड़े कभी दुनिया नहीं मिलती ।
कभी
गायब है खेवय्या,
कभी नय्या नहीं मिलती ॥
न
कोई पेड़ मिलता है न कोई छत ही मिलती है ।
जहां
हो धूप विधिना की वहीं छाया नहीं मिलती ॥
बड़ा
संघर्ष हो जितना बड़ी उतनी ही होगी सीख ।
महाभारत
न होता तो हमें गीता नहीं मिलती ॥
उसे
राधा भी मिलती है उसे मीरा भी मिलती है ।
मगर
कान्हा को राधा में कभी मीरा नहीं मिलती ॥
सिया-वर
को नहीं समझे सिया को कैसे समझेंगे ।
कि
जिसने राम को त्यागा उसे सीता नहीं मिलती ॥
नवीन जोशी 'नवा'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 26 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसिया-वर को नहीं समझे सिया को कैसे समझेंगे ।
जवाब देंहटाएंकि जिसने राम को त्यागा उसे सीता नहीं मिलती ॥
सुन्दर सृजन
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क्या बात 👌👌👌👌 सुंदर भाव ।
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