कभी तो दीन के दुखड़े कभी दुनिया नहीं मिलती - नवीन जोशी 'नवा'


कभी तो दीन के दुखड़े कभी दुनिया नहीं मिलती ।

कभी गायब है खेवय्या, कभी नय्या नहीं मिलती ॥

 

न कोई पेड़ मिलता है न कोई छत ही मिलती है ।

जहां हो धूप विधिना की वहीं छाया नहीं मिलती ॥

 

बड़ा संघर्ष हो जितना बड़ी उतनी ही होगी सीख ।

महाभारत न होता तो हमें गीता नहीं मिलती ॥

 

उसे राधा भी मिलती है उसे मीरा भी मिलती है ।

मगर कान्हा को राधा में कभी मीरा नहीं मिलती ॥

 

सिया-वर को नहीं समझे सिया को कैसे समझेंगे ।

कि जिसने राम को त्यागा उसे सीता नहीं मिलती ॥

 

नवीन जोशी 'नवा'

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 26 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. सिया-वर को नहीं समझे सिया को कैसे समझेंगे ।
    कि जिसने राम को त्यागा उसे सीता नहीं मिलती ॥
    सुन्दर सृजन
    Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो

    जवाब देंहटाएं

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