बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
कंकर-कंकर,
अक्षर-अक्षर,
हर नाम तुम्हारा नाम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
कठिन-समय में आते हो और
सच्ची राह दिखाते हो।
हम से जो हो पाए न सम्भव
चुटकी में कर जाते हो।
प्रीत-पन्थ के तुम्हीं प्रवर्तक,
तुम्हीं नियामक, दिग्दर्शक।
बहिर्मुखों को भी अपनाकर
कृपासिन्धु कहलाते हो।
गिरने से पहले ही भगत को
लेते हो तुम थाम।।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
तुम जागो तो दुनिया जागे,
सोते ही जग सो जाए।
तुम हाज़िर तो सबकुछ हाज़िर,
नहीं तो सब कुछ खो जाए।
कण-कण में तुम रचे-बसे हो,
जन-जन के मन के रंजन।
छोड़ तुम्हारी नगरी कोई
किसकी नगरी को जाए।
तुम ही हो आगाज़ सभी का,
तुम ही हो अंज़ाम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
क़ायनात जोगी की माला,
धरती तो इक दाना है।
गीता की गहरी बातों को
दुनिया भर ने माना है।
बिना तुम्हारी कृपा कृपालु,
अच्छे-अच्छे भटके हैं।
इसीलिये गुरुमन्तर जपकर
भवसागर तर जाना है।
सावधान हो कर ही मन को,
मिलता है विश्राम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
Navin C. Chaturvedi
कंकर-कंकर,
अक्षर-अक्षर,
हर नाम तुम्हारा नाम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
कठिन-समय में आते हो और
सच्ची राह दिखाते हो।
हम से जो हो पाए न सम्भव
चुटकी में कर जाते हो।
प्रीत-पन्थ के तुम्हीं प्रवर्तक,
तुम्हीं नियामक, दिग्दर्शक।
बहिर्मुखों को भी अपनाकर
कृपासिन्धु कहलाते हो।
गिरने से पहले ही भगत को
लेते हो तुम थाम।।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
तुम जागो तो दुनिया जागे,
सोते ही जग सो जाए।
तुम हाज़िर तो सबकुछ हाज़िर,
नहीं तो सब कुछ खो जाए।
कण-कण में तुम रचे-बसे हो,
जन-जन के मन के रंजन।
छोड़ तुम्हारी नगरी कोई
किसकी नगरी को जाए।
तुम ही हो आगाज़ सभी का,
तुम ही हो अंज़ाम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
क़ायनात जोगी की माला,
धरती तो इक दाना है।
गीता की गहरी बातों को
दुनिया भर ने माना है।
बिना तुम्हारी कृपा कृपालु,
अच्छे-अच्छे भटके हैं।
इसीलिये गुरुमन्तर जपकर
भवसागर तर जाना है।
सावधान हो कर ही मन को,
मिलता है विश्राम।
बारम्बार प्रणाम कन्हैया बारम्बार प्रणाम।
Navin C. Chaturvedi
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