सब की सुनता हूँ
बस अपनी ही सदा काटूँ हूँ
तुझको हमराज़
बनाने की सज़ा काटूँ हूँ
सदा-आवाज़, हमराज़ – वह व्यक्ति जिसे अपना राज़ मालूम हो
दर्द ने ही तो
दिये हैं मुझे तुम जैसे हबीब
और आमद के लिए ग़म
का सिरा काटूँ हूँ
हबीब – दोस्त, आमद – आवक / बढ़ोतरी
है ख़लिश इतनी अभी
उड़ के पहुँचना है वहाँ
बस इसी धुन में
शबरोज़ हवा काटूँ हूँ
ख़लिश – तड़प, शबोरोज़ – रात
दिन
ये ज़मीं तेरी है
ये मेरी ये उन लोगों की
ऐसा लगता है कि
जैसे मैं ख़ला काटूँ हूँ
ख़ला – अन्तरिक्ष,ब्रह्माण्ड के सन्दर्भ में
एक भी ज़ख्म
छुपाया न गया तुम से ‘नवीन’
हार कर अपने
कलेज़े की रिदा काटूँ हूँ
रिदा – चादर
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
फाएलातुन फ़एलातुन
फ़एलातुन फालुन.
बहरे रमल मुसम्मन
मखबून मुसक्कन.
2122 1122 1122 22
पड़ बहर के चक्कर में हुज़ूर
जवाब देंहटाएंगज़ल के नाजो-अदा काटूं हूँ |