रह रह कर जो
टूटा, वह "विश्वास" मेरी ग़ज़लों में है
कुछ अपना, कुछ औरों का, एहसास मेरी ग़ज़लों में है
अश्क़ों को अश्क़ों की तर्ह नहीं समझा था इस ख़ातिर
हर्फ़-हर्फ़ और लफ़्ज़-लफ़्ज़ बस प्यास मेरी
ग़ज़लों में है
दुनिया की नज़रों में जिन को आम कहा जाता है हुज़ूर
हर उस शय का ओहदा काफ़ी ख़ास मेरी ग़ज़लों में है
हर उस शय का ओहदा काफ़ी ख़ास मेरी ग़ज़लों में है
सुख में दुख, दुख में ख़ुशियाँ, पा कर खोना, खो कर पाना
वही पुराना पागलपन बिंदास मेरी ग़ज़लों
में है
अंधी राहों की भटकन, बेनूर बहारों संग 'नवीन'
वक़्त
बदलने की
धुँधली सी आस मेरी ग़ज़लों
में है
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