जय जयति भारत भारती!
अकलङ्क श्वेत सरोज
पर वह
ज्योति देह विराजती!
नभ नील वीणा स्वरमयी
रविचन्द्र दो ज्योतिर्कलश
है गूँज गङ्गा ज्ञान
की
अनुगूँज में शाश्वत
सुयश
हर बार हर झङ्कार में
आलोक नृत्य निखारती
जय जयति भारत भारती!
हो देश की भू उर्वरा
हर शब्द ज्योतिर्कण
बने
वरदान दो माँ भारती
जो अग्नि भी चन्दन
बने
शत नयन दीपक बाल
भारत भूमि करती आरती
जय जयति भारत भारती!
पण्डित नरेन्द्र शर्मा
1913-1989
सम्पर्क - आप की सुपुत्री
आ. लावण्या शाह
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