23 जुलाई 2016

हमारे बाप का हिन्दोसतान है साहब - नवीन

सितम की ज़द पर तमाम आसमान है साहब।
हरेक शख़्स की आफ़त में जान है साहब


वतन सभी का है लेकिन ज़रा सा अन्तर है।
किसी का घर है किसी का मकान है साहब॥ 



ये दौर वो है जहाँ कोई भी नहीं महफ़ूज़। 
यहाँ सभी की हथेली प जान है साहब॥ 



हमारे जैसा मधुर तुम न बोल पाओगे। 
तुम्हारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान है साहब॥  



हमारे वासते धरती है माँ, पिता आकाश। 
हमारे बाप का हिन्दोसतान है साहब॥ 

:- नवीन सी. चतुर्वेदी 



बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22

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