टप-टप की आवाज़ सुनी कानों ने,
बारिश आ गयी|
बूँदों का सत्कार किया पेड़ों ने,
बारिश आ गयी|
श्याम वर्ण नभ हुआ अचानक|
भगीं चींटियाँ छितरा के|
पंछी छुपे घरौंदों में जा|
हवा चले है इतरा के|
सौंधी खुश्बू फील करी नथुनों ने,
बारिश आ गयी|
बूँदों का सत्कार किया पेड़ों ने,
बारिश आ गयी||
गरमी फिरती मारी मारी|
झूम रहे सब के तन-मन|
जहाँ भी देखो, हरियाली-
करती धरती का आलिंगन|
तले पकौड़े माँ-बीवी-बहनों ने,
बारिश आ गयी|
बूँदों का सत्कार किया पेड़ों ने,
बारिश आ गयी|
कहीं मस्तियों के मेले हैं|
कहीं मुसीबत तूफ़ानी|
घर वाले आनंद कर रहे|
घुसा झोपडों में पानी|
बिलियन बजट बनाए नेताओं ने,
बारिश आ गयी|
बूँदों का सत्कार किया पेड़ों ने,
बारिश आ गयी|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें