रूह
से तोड़के सबने बदन से जोड़ दिया
रिश्ता-ए-इश्क़ के धागे को धन से जोड़ दिया
है
मिरा काम मुहब्बत की पैरवी करना
जबसे इक चाँद ने मुझको किरन से जोड़ दिया
मैं
उसे ओढ़के फिरता था दश्त भर लोगो
क्यों मिरा जिस्म किसी पैरहन से जोड़ दिया
वक़्त
ने तोड़ दिया था मगर तअज्जुब है
आपने दिल को मिरे इक छुअन से जोड़ दिया
मेरी
ग़ज़लों ने मुहब्बत की नींव रक्खी है
बेवतन जो था उसे भी वतन से जोड़ दिया
शह्र
के लोगों को ये बात नागवार लगी
गाँव का दर्द भी हमने सुख़न से जोड़ दिया
अब
तो लाज़िम है सियासत के कुछ हुनर सीखें
शाह ने हमको भी इक अंजुमन से जोड़ दिया
कल
रात पूरी रात तिरी याद आई है
जानाँ ये मेरे इश्क़ की पहली कमाई है
मैं
इन दिनों हूँ हिज्र की लज़्ज़त में मुब्तला
इक उम्र काम करके ये तनख़्वाह पाई है
हाज़िर
हूँ अपने दिल की मैं खाता-बही के साथ
ये मैं हूँ और ले ये तिरी पाई-पाई है
ख़ारिज
सिरे से कर दिया सबकी दलील को
जब भी चलाई इश्क़ ने अपनी चलाई है
तकिये
का हाल देखके लगता है रातभर
सब आँसुओं ने ख़्वाब की बरसी मनाई है
जबसे
सुना कि इश्क़ तिजारत मुफ़ीद है
हमने भी दिल दिमाग़ की पूँजी लगाई है
शाइस्तगी
बनी ही मिरे ख़ानदान से
लहजे में ये मिठास बुज़ुर्गों से आई है
इक
पल भी इस जहान से निभनी मुहाल थी
हमने किसी के इश्क़ में जग से निभाई है
तस्वीर
का ये रुख भी ‘सिकन्द’ है क्या अजब
जब रंग उड़ गया तो ग़ज़ल रंग लाई है
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
तेरे
अल्फ़ाज़ के पत्थर मिरे सीने पे लगे
मेरे अहसास के टुकड़े मिरे चेहरे पे लगे
हमने
उनको भी कलेजे से लगा रक्खा है
संग जो भी हमें महबूब के सजदे पे लगे
इतना
सुनने से तो अच्छा था कि मर ही जाता
मेरी आवाज़ पे पहरे तिरे कहने पे लगे
मैं
तिरे इश्क़ में ऐसा हूँ तो ऐसा ही सही
लगे इलज़ाम अगर तौर तरीक़े पे लगे
इश्क़
ने तेरी बहाली की बिना रक्खी है
देखियो! कोई न धब्बा तिरे ओहदे पे लगे
इससे
पहले तो ज़मीं थी,
वो फ़लक था, दिल था
ये तो दीवार से हम आपके आने पे लगे
क्या
नज़ारा था गले आज लगे वो ऐसे
जैसे जुमला कोई आकर किसी जुमले पे लगे
वो
तो हम थे जो कभी आह क्या उफ़ तक भी न की
जब कि सब तीर तिरे सीधे कलेजे पे लगे
टस
से मस भी जो हुआ मैं तो ‘सिकंदर’ कैसा
लाख कैंची मिरे मज़बूत इरादे पे लगे
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
:- इरशाद खान सिकन्दर
– 9818354784
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.
विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.