30 दिसंबर 2013

दिल के दरवाज़े तलक बू-ए-वफ़ा आने दे - नवीन

दिल के दरवाज़े तलक बू-ए-वफ़ा आने दे। 
धूल उड़ती है तो उड़ने दे - हवा आने दे॥ 

ज़ख्म ऐसा है कि उम्मीद नहीं बचने की। 
जब तलक साँस हैनज़रों की शिफ़ा आने दे॥ 

मौत! वादा है मेरासाथ चलूँगा तेरे। 
बस ज़रा उस को कलेज़े से लगा आने दे॥ 

वो बहुत जल्द किसी और की हो जायेगी
रोक मत - उस को - सुबूतों को जला आने दे

मैं भी कहता हूँ कि ये उम्र इबादत की है। 
दिल मगर कहता है कुछ और मज़ा आने दे॥ 

:- नवीन सी. चतुर्वेदी

बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22

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