ग़म
की ढलवान तक आये तो ख़ुशी तक पहुँचे
आदमी
घाट तक आये तो नदी तक पहुँचे
इश्क़
में दिल के इलाक़े से गुजरती है बहार
दर्द
अहसास तक आये तो नमी तक पहुँचे
उस
ने बचपन में परीजान को भेजा था ख़त
ख़त
परिस्तान को पाये तो परी तक पहुँचे
उफ़
ये पहरे हैं कि हैं पिछले जनम के दुश्मन
भँवरा गुलदान तक आये तो कली तक पहुँचे
नींद
में किस तरह देखेगा सहर यार मिरा
वह्म
के छोर तक आये तो कड़ी तक पहुँचे
किस
को फ़ुरसत है जो हर्फ़ो की हरारत समझाय
बात
आसानी तक आये तो सभी तक पहुँचे
बैठे-बैठे
का सफ़र सिर्फ़ है ख़्वाबों का फ़ितूर
जिस्म
दरवाज़े तक आये तो गली तक पहुँचे
:-
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122
1122 1122 22
दर्द अहसास तक आये तो नमी तक पहुँचे
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वाह! अद्भुत एहसास!
बेहद सुन्दर!