समझ में आते हैं कुछ इन्क़लाब आहिस्ता-आहिस्ता- नवीन


मुहतरम अमीर मीनाई साहब की ज़मीन सरकती जाये है रूख़ से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता” पर एक कोशिश


समझ में आते हैं कुछ इन्क़लाब आहिस्ता-आहिस्ता
करें भी क्या कि खुलते हैं सराब आहिस्ता-आहिस्ता 
सराब - मृगतृष्णा

हमारी कोशिशों को ये जहाँ समझा न समझेगा
हमें होना था यारो क़ामयाब आहिस्ता-आहिस्ता

समय थमता नहीं है और बदन भी थक रहा है कुछ
बिखरते जा रहे हैं सारे ख़्वाब आहिस्ता-आहिस्ता

वही बज़्मेंवही रस्मेंवही ताक़तवही गुर्बत
उभरते जा रहे हैं फिर नवाब आहिस्ता-आहिस्ता
बज़्म - महफ़िलगुर्बत - ग़रीबी

किसी बेशर्म से मिन्नत नहीं सख़्ती से पेश आओ
ज़ुबाँ टपकायेगी सारे ज़वाब आहिस्ता-आहिस्ता

:- नवीन सी. चतुर्वेदी

बहरे हजज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन

1222 1222 1222 1222 

4 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी कोशिशों को ये जहाँ समझा न समझेगा
    हमें होना था यारो कामयाब आहिस्ता-आहिस्ता

    सच में

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब! लाजवाब कोशिश मैं तो बिलकुल समझ गया :)

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  3. हमारी कोशिशों को ये जहाँ समझा न समझेगा
    हमें होना था यारो कामयाब आहिस्ता-आहिस्ता ..

    कामयाबी आहिस्ता ही मिलती है ...
    बहुत ही लाजवाब शेर है नवीन भई ... गज़ल का हर शेर काबिले तारीफ़ है ....

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.