हवा का हाथ परों से जो मैं बँटाता हूँ- नवीन

हवा का हाथ परों से जो मैं बँटाता हूँ।
ये मुझ प फ़र्ज़ है साहब मैं इक परिन्दा हूँ॥
मेरा वुजूद है मौजूद हर जगह लेकिन।
मैं ख़ुश्बुओं में ठहरना पसन्द करता हूँ॥
मेरी उदास नज़र को न कोसिये साहब।
मैं बारिशों में तरसता हुआ पपीहा हूँ॥
करोड़ों साल भले उम्र हो चुकी है मगर।
मेरी नज़र में तो मैं अब भी एक बच्चा हूँ॥
जिसे पढा था किसी वालमीकि ने इक रोज़।
दरूने-वस्ल का हाँ मैं वही बिछड़ना हूँ॥
इक अपना जिस्म छुपाने की बदहवासी में।
ज़माने भर की तमन्नाएँ ओढ लेता हूँ॥
अज़ीब शौक़ हैं मेरे अज़ीब अफ़साने।
समुन्दरों को जला कर बुझा भी देता हूँ॥
हो जिसके पास जवाब उस से बात क्या करना।
मैं ख़ुद जवाब से उलटे सवाल करता हूँ॥
'नवीन' सम्त सफ़र हो तो मैं भी हूँ तैयार।
उसी पुराने सफ़र से तो कल ही लौटा हूँ॥



नवीन सी• चतुर्वेदी

बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.