बात
की बात में क्या हुआ है हमैं
शब्द
धन चुक गया - साँस अवरूद्ध है !
शहर
सम्बन्ध का - तोड़ता
ही रहा
भाव
से भाव मन - जोड़ता
ही रहा
नेह
की आस मन - में समोए रहे
प्रीत
का ये नमन - ये चलन शुद्ध है !
कितने
क़िस्से कहे - कितनी
बातें बनीं
गान
तो थे पुरातन - नई धुन चुनीँ
चाँदनी
की तरह - हम सरसते रहे
सूर्य
हमसे इसी - बात पर क्रुद्ध है !
कितनी
टूटन सही - कितने
ताने सहे
नेह
की छॉंव से - हम अजाने
रहे
फिर
किसी पीर ने हमको समझा दिया
नेह
ही कृष्ण है - नेह हीं बुद्ध है !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.
विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.