कुछ ख़याल आइनों का तो कर - नवीन

कुछ ख़याल आइनों का तो कर
झूठ चलता नहीं उम्र भर

हाय रे! बेबसी का सफ़र
बह रहे हैं नदी में शजर

जाने किस की लगी है नज़र
राह आती नहीं राह पर

सीढ़ियों पर बिछी है हयात
ऐ ख़ुशी हौले-हौले उतर

किस लिये माँगिए आसमाँ
ये फ़लक तो है ख़ुद आँख भर

हाँ तू दरपन है और मैं हूँ आब
क्या गिनाऊँ अब अपने हुनर

बस यही है ख़ज़ाना मिरा
कुछ लहू, कुछ अना, कुछ शरर

थोड़ा ग़म भी कमा लो ‘नवीन’
दर्द मिलता नहीं ब्याज पर

नवीन सी. चतुर्वेदी

बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
212 212 212

फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.