मरमरी बाँहों पे इस ख़ातिर फ़िदा रहता हूँ मैं
इन के घेरे में गुलाबों सा खिला रहता हूँ मैं
इन के घेरे में गुलाबों सा खिला रहता हूँ मैं
फैलने के बावजूद उभरा हुआ रहता हूँ मैं
नैन-का-जल हूँ सो आँखों में सजा रहता हूँ मैं
तेरे दिल में रहने से मुझको नहीं कोई गुरेज़
गर तू मेरे हक़ में कर दे फ़ैसला – रहता हूँ मैं
देख ले सब कुछ भुला कर आज़ भी हूँ तेरे साथ
तेरी यादों की सलीबों पर टँगा रहता हूँ मैं
उन पलों में जब सिमट कर चित्र बन जाती है वो
फ्रेम बन कर उस की हर जानिब जड़ा रहता हूँ मैं
उस की हर हसरत बजा है मेरी हर ख़्वाहिश फ़िजूल
ये हवस है या मुहब्बत सोचता रहता हूँ मैं
क्यूँ न मेरे जैसे जुगनू से ख़फ़ा हो माहताब
उस की प्यारी चाँदनी को छेड़ता रहता हूँ
आने वाला वक़्त ही ये तय करेगा दोसतो
मुद्दआ बनता हूँ या फिर मसअला रहता हूँ मैं
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहुत खूब.............
ReplyDeleteलाजवाब गज़ल..
सादर
अनु
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ReplyDeleteउन पलों में जब सिमट कर चित्र बन जाती है वो
ReplyDeleteफ्रेम बन कर उस की हर जानिब जड़ा रहता हूँ मैं
अय-हय-हय ! इस शे’र पर मंत्रमुग्ध सा हो गया हूँ, भाईजी. क्षण-विशेष के प्रत्येक आयाम को साकार करती पंक्तियाँ. जीये कोमल क्षणों को पुनः-पुनः जीने को बाध्य करता भाव मानों शब्द बन कर उभर आया है. शब्द-शब्द चित्र उकेर रहा है, भाईजी और.. और बस !
हृदय की गहराइयों से ढेरम्ढेर बधाइयाँ स्वीकर करें.
सादर
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
उत्कृष्ट प्रस्तुति गुरूवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया... एक शानदार ग़ज़ल पढने को मिली... सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteयादों की सलीब न कहो यारों,
ReplyDeleteलोग प्रेम का खुदा न समझ बैठें,
तेरे दिल में रहने से मुझको नहीं कोई गुरेज़
ReplyDeleteगर तू मेरे हक़ में कर दे फ़ैसला रहता हूँ मैं,,,
रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
क्या कहने ??
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन गजल...
:-)
वाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
बहुत सुंदर गजल !
ReplyDeleteलाजवाब गजल आदरणीय नवीन भाई जी...
ReplyDeleteसादर.
वाह ...बस एक ही शब्द कहूँगी ...निशब्द कर दिया
ReplyDeleteतेरे दिल में रहने से मुझको नहीं कोई गुरेज़
ReplyDeleteगर तू मेरे हक़ में कर दे फ़ैसला – रहता हूँ मैं
अद्भुत.. अद्भुत...