मेरे तो तुम ही ईश्वर हो।
मेरी है हर साँस तुम्हारी।
तुम पर ही मैं सब कुछ हारी।
सदा तुम्हारी आस करूँ मैं।
तुम ही तो शीतल तरुवर हो।
मेरे तो तुम ही ईश्वर हो।
तुम बिन मैं तड़फूँ बन मछली।
तुम्हें देखकर ही मैं सँभली।
होश नहीं रहता मुझको कुछ।
तुम हो तो मुझ पर है सब कुछ।
तुम ही तो मेरे सहचर हो।
मेरे तो तुम ही ईश्वर हो।
"अटल" प्रीत का तुमसे बंधन।
तुमसे बिंदिया, चूड़ी, कंगन।
तुम्हीं सितारे मेरे सिर के।
तुम बिन भटकूँ बिन मंजिल के।
तुम्हीं शक्ति व बुद्धि प्रवर हो।
मेरे तो तुम ही ईश्वर हो।
तुमसे जुड़ा अनूठा नाता।
साथ तुम्हारा मुझको भाता।
झेलूँ दिन भर भूख-प्यास मैं।
लगे उमर तुमको चाहूँ मैं।
मैं नदिया तो तुम सागर हो।
मेरे तो तुम ही ईश्वर हो।
अटल राम चतुर्वेदी
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 27अक्टूबर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउम्मदा
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत बढ़िया, बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images
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