काला तिल नसवारी आँखें
हैं मश्कूक तुम्हारी आँखें
सब्र की रिश्वत माँग रही हैं
साजन की पटवारी आँखें
जब भी शॉपिंग करने निकलो
फ़िट कर लो बाज़ारी आँखें
लरज़ गया तन मेरा, उस ने –
ऐसे जोड़ के मारी आँखें
पास मेरे आ बच के, बचा के
देखती हैं सरकारी आँखें
जी में है छुप जाऊँ उन में
हाय तेरी अलमारी आँखें
नज़ीर जालन्धरी
नज़ीर जालन्धरी
Waah
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