नया काम
हमीं तनहा नहीं हैं आसमाँ पर
कई टूटे हुये दिल हैं यहाँ पर
किसी की रूह प्यासी रह न जाये
लिहाज़ा दर्द बरसे है जहाँ पर
अमाँ हम भी किरायेदार ही हैं
भले ही नाम लिक्खा है मकाँ पर
बहारों के लिये मुश्किल घड़ी है
अज़ाब उतरे हैं एक-एक बागवाँ पर
बहुत कुछ याद आ जायेगा फिर से
न रक्खें हाथ ज़ख़्मों के निशाँ पर
हमें जाना है बस पी की नगरिया
नज़र रक्खे हुये हैं कारवाँ पर
'नवीन'अब ख़ैर ही समझो तुम अपनी
वो देखो तीर नज़रों की कमाँ पर
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अजब सा हाल देखा आसमाँ पर
हमीं तनहा नहीं हैं आसमाँ पर
कई टूटे हुये दिल हैं यहाँ पर
किसी की रूह प्यासी रह न जाये
लिहाज़ा दर्द बरसे है जहाँ पर
अमाँ हम भी किरायेदार ही हैं
भले ही नाम लिक्खा है मकाँ पर
बहारों के लिये मुश्किल घड़ी है
अज़ाब उतरे हैं एक-एक बागवाँ पर
बहुत कुछ याद आ जायेगा फिर से
न रक्खें हाथ ज़ख़्मों के निशाँ पर
हमें जाना है बस पी की नगरिया
नज़र रक्खे हुये हैं कारवाँ पर
'नवीन'अब ख़ैर ही समझो तुम अपनी
वो देखो तीर नज़रों की कमाँ पर
-----
अजब सा हाल देखा आसमाँ पर
कई
टूटे हुये दिल हैं वहाँ पर
बदन
की प्यास की ख़ातिर है पानी
लिहाज़ा
दर्द बरसे है जहाँ पर
किरायेदार
से बढ़ कर नहीं हम
भले
ही नाम लिक्खा है मकाँ पर
बहारों
में ख़िज़ाएँ नाचती हैं
असर
दिखता नहीं पर बागवाँ पर
हमें
जाना है बस पी की नगरिया
नज़र
रक्खे हुये हैं कारवाँ पर
: नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे हजज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
किरायेदार से बढ़ कर नहीं हम
जवाब देंहटाएंभले ही नाम लिक्खा है मकाँ पर
बहुत खूब सुंदर गज़ल
बेहतरीन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंbadhiya gazal
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 01/06/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
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आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
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धन्यवाद!