
मेरे
दिल के नन्हे नर्म गालों पर उम्र चढ़ी ही नहीं!
स्पर्श
क्षणिक होता है
स्पर्श
का आनंद अमर होता है
माँ
और बाबूजी का चूमना
मेरे
नन्हे नर्म गालों को
मेरे
दिल के नन्हे नर्म गालों को अब भी याद है
मेरे
दिल के गालों पर
उम्र
चढ़ी ही नहीं!
बाबूजी
तो रहे नहीं
उनके
गाल चूमने का स्मरण है
अम्मा
अब बूढ़ा गयी है
मैं
भी अधेड़ हो गया हूँ
अम्मा
अब भी चूमती है मेरे गाल
मेरी
सालगिरह पर
मै
इस नए चूमने का स्मरण
और
बचपन के चूमने का स्मरण
दोनों
को मिला देता हूँ
मेरे
दिल के नन्हे नर्म गाल
सुरक्षित
रखेंगे यह सारे स्मरण
उस
क्षण तक
जब
मैं खुद एक स्मरण हो जाऊंगा
अंततः
धरती माँ सहेज कर रखती है
हर
बच्चे के नन्हे नर्म गालों को चूमने के स्मरण
जब
वें आसमान को चूमने चलें जाते हैं...
गणेश
कनाटे
Great information
ReplyDelete