हमें हर बार थोड़े ही करिश्मा1 चाहिये साहब - नवीन

हमें हर बार थोड़े ही करिश्मा1 चाहिये साहब।  
सलीक़ा चाहिये साहब क़रीना2 चाहिये साहब॥  

बहुत ईमानदारी से कई लड़कों ने बतलाया। 
प्रियंका हो न हो लेकिन मनीषा3 चाहिये साहब॥ 

हमें रस्मो-रिवाज़ों ने कहाँ ला कर पटक डाला। 
कि बेटा हो न हो लेकिन तनूजा4 चाहिये साहब॥ 

नदी के तीर पर अद्भुत-अलौकिक शांति मिलती है। 
हताशा हो तो लाज़िम है बिपाशा5 चाहिये साहब॥   

पुराने चावलों की हर ज़माना क़द्र करता है। 
लता दीदी के युग में भी सुरैया चाहिये साहब॥ 

जिन्हें हूरों की हसरत हो वे जन्नत के मज़े लूटें। 
हमें अपने लिये तो सिर्फ़ हेमा6 चाहिये साहब॥  

नहीं हरगिज़ अंधेरों की सिफ़ारिश कर रहा हूँ मैं। 
नवीन’ इक सुब्ह की ख़ातिर – शबाना7 चाहिये साहब॥


1 चमत्कार 2 तरीक़ा, पद्धति manners 3 पढ़ी-लिखी / विदुषी 4 बेटी 5 नदी 6 पृथ्वी 7 रात

नवीन चतुर्वेदी

बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.