29 दिसंबर 2013

यह अजूबा तो हो नहीं सकता - नवीन

नया काम 



यह अजूबा तो हो नहीं सकता।
सब कुछ अच्छा तो हो नहीं सकता॥ 

जिस पै आता है उस पै आता है। 
दिल सभी का तो हो नहीं सकता॥

चाह को ताक पर रखें कब तक। 
यों गुज़ारा तो हो नहीं सकता॥

और कुछ रासता नहींवरना।
ग़म गवारा तो हो नहीं सकता॥

साथ में होगी उस के रुसवाई।
इश्क़ तनहा तो हो नहीं सकता॥

अब से बस मुस्कुरा के देखेंगे।
तुम से झगड़ा तो हो नहीं सकता॥



******* 

उस के जैसा तो हो नहीं सकता
बाप, बेटा तो हो नहीं सकता

फूल कितनी भी गन्ध फैलाये
गन्ध जितना तो हो नहीं सकता

कोई अम्मा को जा के समझाये
मैं सितारा तो हो नहीं सकता

अब से बस मुस्कुरा के देखेंगे
तुम से झगड़ा तो हो नहीं सकता

ये ज़मीं ही लचक गई होगी
चाँद आधा तो हो नहीं सकता  

:- नवीन सी. चतुर्वेदी


बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22

5 टिप्‍पणियां:

  1. ये ज़मीं ही लचक गई होगी
    चाँद आधा तो हो नहीं सकता

    अद्भुत कल्पना!
    वाह!

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जहां न जाय रवि वहां जाय कवि - चरितार्थ किया आपने !
      ये भी बताइए एक साथ इतने पोस्ट कैसे पोस्ट करते है ?खासकर पुराने पोस्ट द्बारा ?
      नई पोस्ट मिशन मून
      नई पोस्ट ईशु का जन्म !

      हटाएं
  3. Dada kaha thi e ghazal abtk Maine padhi q ni laaajawaab
    Bhut bada sher hai
    फूल कितनी भी गन्ध फैलाये
    गन्ध जितना तो हो नहीं सकता
    Be had khubsurat
    अब से बस मुस्कुरा के देखेंगे
    तुम से झगड़ा तो हो नहीं सकता

    E sher k to kya kahne
    ये ज़मीं ही लचक गई होगी
    चाँद आधा तो हो नहीं सकता

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचित साहित्यम पर न सिर्फ़ मेरा बल्कि और भी नए-पुराने साहित्यकारों का साहित्य उपलब्ध है............ परन्तु बहुत से ऐसे समूह तन्त्र भी हैं जो न ख़ुद पधारते हैं न अन्य इच्छुक व्यक्तियों को यहाँ का पता-ठिकाना बताते हैं

      हटाएं