6 नवंबर 2010

दीपावली के उपलक्षय में एक बाल गीत - नवीन

बच्चों के सँग हर त्यौहार
लगता है सब को सुख-सार

बच्चों की मीठी मुस्कान
मातु पिता की है वो जान

बच्चों के सपने अनमोल
इन का कोई मोल न तोल

बच्चों के सँग हम भी गाएँ
दीवाली का पर्व मनाएँ

बच्चो तुम से प्यारा कौन
तुम से अधिक दुलारा कौन

तुम सब हो भारत की शान
बिन तुमरे ना हिंद महान

देते हैं आशीष तुम्हें
सब कुछ देवें ईश तुम्हें

जग में रोशन नाम करो
कुछ ऐसा तुम काम करो

देख जमाना गर्व करे
हाथ तुम्हारे शीश धरे

:- नवीन सी. चतुर्वेदी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बड़े भईया को राम-राम......

    पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ तो टिपण्णी तो क्या निशान छोड़ जाना अधिक सुहा रहा है...

    वैसे बच्चों से जोड़ कर की गयी रचना का अपना अलग महत्त्व होता है... अच्छी लगी आपकी यह रचना....
    ► जोगेन्द्र सिंह
    (मेरी लेखनी..मेरे विचार..)

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  2. जोगी भैया तुम्हारी लेखनी और तुम्हारे विचार यहाँ पढ़ कर काफ़ी रुचिकर लगे| जय हो|

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