समझेगा दीवाना क्या
बस्ती क्या वीराना क्या
ज़ब्त करो तो बात बने
हर पल ही छलकाना क्या
हार गए तो हार गए
इस में यूँ झल्लाना क्या
दुश्मन को पहचानोगे ?
अपनों को पहचाना क्या
दुःख से सुख में लज्ज़त है
बिन दुःख के सुख पाना क्या ?
इसका खाली हव्वा है
दुनिया से घबराना क्या
फूलों की तरहा झरिये
पत्तों सा झड़ जाना क्या
किसने कितने घाव दिये
छोडो भी, गिनवाना क्या
'नीरज' सुलझाना सीखो
मुद्दों को उलझाना क्या
ज़िन्दगी में जो ग़म नहीं होता
नाम रब का अहम् नहीं होता
तुझ में बस तू बचा है मुझमें मैं
अब के रिश्तों में हम नहीं होता
क़त्ल अब खेल बन गया क्यूँ की
सर सज़ा में कलम नहीं होता
दोस्ती हो के दुश्मनी इसमें
यार कोई नियम नहीं होता
रोटियों के सिवा ग़रीबों का
और कुछ भी इरम नहीं होता
आप मुड़ कर न देखते तो हमें
प्यार है, ये भरम नहीं होता
चीखता है वही सदा " नीरज"
जिसकी बातों में दम नहीं होता
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
बंद
रखिए तो इक अँधेरा है
खोलिए
आँख तो सवेरा है
साँप
यादों के छोड़ देता है
शाम
का वक्त वो सँपेरा है
फ़ासला
इक बहुत जरूरी है
यार
के भेष में बघेरा है
ताजपोशी
उसी की होनी है
मुल्क
में जो बड़ा लुटेरा है
मरहला
है सरायफानी ये
चार
दिन का यहाँ बसेरा है
रूह
बेरंग क्यों ना हो साहब
हर
कोई जिस्म का चितेरा है
शाम
दर पे खड़ी है ऐ नीरज
अब
समेटो जिसे बिखेरा है
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
:- नीरज गोस्वामी
9860211911
कब तक रखेंगे हम भला इनको सहेज कर
जवाब देंहटाएंरिश्ते हमारे शाम का अखबार हो गये
किसी की याद चुपके से चली आती है जब दिल में
कभी घुँघरू से बजते हैं , कभी तलवार चलती है
तुझमें बस तू बसा है मुझमे मैं
अब के रिश्तों में हम नहीं होता
ऐसे शेर कहने वाले शाइर नीरज !! पुरख़ुलूस और अल्फाज़ की खुश्बू बिखेरने वाले इंसान नीरज !! दोनो ही लाजवाब हैं !!! मेरा दृढ विश्वास है कि जिस व्यक्ति के संस्कार प्रबल होते हैं जिसका मानस निष्कलुष होता है जिसमें प्रेम , धैर्य और समकालीन समाज और सम्धर्मियों को को सम्मान और सहारा देने जिअसे उच्च मानवीय गुण होते हैं वही अपने दौर का सच्चा और अच्छा शाइर हो सकता है –कहने की ज़रूरत नहीं कि –नीरज जी के व्यक्तित्व में यह सभी गुण ईश्वर ने वरदान स्वरूप बह्र दिये हैं !! मेरी असीमित शुभकामनाये उनके साथ हैं –मयंक