tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post7310524180997858871..comments2024-03-22T11:27:03.707+05:30Comments on साहित्यम्: 3 ग़ज़लें - नीरज गोस्वामीwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4162253741448977385.post-86701168200187392472014-08-01T14:42:39.445+05:302014-08-01T14:42:39.445+05:30कब तक रखेंगे हम भला इनको सहेज कर
रिश्ते हमारे शाम ...कब तक रखेंगे हम भला इनको सहेज कर<br />रिश्ते हमारे शाम का अखबार हो गये<br /><br />किसी की याद चुपके से चली आती है जब दिल में<br />कभी घुँघरू से बजते हैं , कभी तलवार चलती है<br /><br />तुझमें बस तू बसा है मुझमे मैं<br />अब के रिश्तों में हम नहीं होता<br />ऐसे शेर कहने वाले शाइर नीरज !! पुरख़ुलूस और अल्फाज़ की खुश्बू बिखेरने वाले इंसान नीरज !! दोनो ही लाजवाब हैं !!! मेरा दृढ विश्वास है कि जिस Mayank Awasthihttps://www.blogger.com/profile/16120430247055660504noreply@blogger.com