दिल में रहता है मगर ख़्वाब हुआ जाता है
वो भी अब सूरते-महताब हुआ जाता है
खाक उड़ती है हमेशा मिरे गुलज़ारों में
और सहरा कहीं शादाब हुआ जाता है
बे-सबब हम ने जलाई नहीं कश्ती अपनी
ये समुन्दर भी तो पायाब हुआ जाता है
एक हो जाएंगे शाहाने- ज़माना सारे
इक प्यादा जो ज़फ़रयाब हुआ जाता है
यह किसी आँख से टपका हुआ आँसू तो नहीं
कैसा क़तरा है कि सैलाब हुआ जाता है
कुछ दिए हम ने जलाए थे अँधेरे घर में
कोई तारा कोई महताब हुआ जाता है
चढ़ते दरिया में निकलता नहीं रस्ता आलम !
मेरा लश्कर है कि ग़र्काब हुआ जाता
है
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
आलम खुर्शीद
आलम खुर्शीद
यह किसी आँख से टपका हुआ आँसू तो नहीं
जवाब देंहटाएंकैसा क़तरा है कि सैलाब हुआ जाता है
bahut khoob