6 अगस्त 2016

अब इस से बढ के भला क्या कमाल होना है - नवीन

अब इस से बढ के भला क्या कमाल होना है
हमें ही अगली सदी का सवाल होना है
हम उस पतंगे की मानिन्द ही तो हैं जिस का
विसाल होते ही बस इन्तक़ाल होना है
हम इस जहान के सबसे बड़े नजूमी हैं
हमें पता है हमेँ कब हलाल होना है
सब अपने-अपने क़बीलों को इत्तला कर दो
सभी को सब के लिये इस्तेमाल होना है
तरक़्क़ियों को तलाशा तो ये समझ आया
हमें ग़रीब उन्हें मालामाल होना है
ये वो गुलिस्ताँ नहीं है सभी को है मालूम
मगर तमाशा अभी डाल-डाल होना है
चलो यहाँ से रिहाई का इन्तज़ाम करें
यहाँ तो रोज़ नया एक वबाल होना है
कमाल ही तो कहा जायेगा ‘नवीन’ तुम्हें
मिसाल बख़्शे बिना बे-मिसाल होना है
नवीन सी चतुर्वेदी

बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22

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