क्षमानुराग सतत पा रहे क्षरण मित्रो
कहीं अनिष्ट न कर दें दुराचरण मित्रो
हमें बस एक दशानन-कथा स्मरण है बस
अनेक बार हुआ है सिया-हरण
मित्रो
समाज-शास्त्र अभिप्राय को तरसता है
कहीं बिगाड़ न दें हम समीकरण मित्रो
स-हर्ष नष्ट करे है विरोध के अवसर
नितान्त नेष्ट नहीं है वशीकरण मित्रो
भविष्य उज्ज्वलतम किस तरह बनायेगा
उदारवाद प्रवर्तित निजीकरण मित्रो
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
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