अज़्म
ले कर जब सफ़ीने छूटते हैं।
जलजलों
के भी पसीने छूटते हैं॥
अज़्म - संकल्प, सफ़ीना - नाव, जलजला - विकट
तूफान
छुट नहीं
पायेंगे यादों से मरासिम।
औरतों
से कब नगीने छूटते हैं॥
मरासिम -
सम्बंध
झूठ-मक्कारी-दग़ा-रिश्वत-ख़ुशामद।
कितने
लोगों से ये ज़ीने छूटते हैं॥
ज़ीना - ऊपर
जाने की सीढ़ियाँ
टूट
ही जाती है बेऔलाद औरत।
ज्यों ही
बछड़े दूध पीने छूटते हैं॥
चाँद
जब खिड़की से बाहर झाँकता है।
बेढ़बों
से भी क़रीने छूटते हैं॥
क़रीना - यहाँ style मारने के अर्थ
में प्रयुक्त हुआ है
:-
नवीन सी. चतुर्वेदी
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