समाधान औसधि है - रोग के निवारन कों,
पे औसधि के रोग कों, औसधि कहा दीजिए?
धर्म की सुरच्छा हेतु नीति हैं अनेक किन्तु,
नीति की अनीतिता पे नीति कौन छीजिये?
भने 'कविदास' जो पे ब्याधी होइ सान्त, तो पे,
भर भर घूँट खूब बिस कों हू पीजिये!
चोर करे चोरी तो सुनावे सज़ा राजा, किन्तु,
राजा होय चोर, तो हवाल कौने कीजिए?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें