आज सपने में सेज साँवरौ मिल्यौ री मोहि - बिहारी [बिहारी सतसई वाले नहीं]

बिहारी [बिहारी सतसई वाले नहीं]

आज सपने में सेज साँवरौ मिल्यौ री मोहि
लीन्ही अङ्क आनि, सबै कानि-कुल गई री

मोहन मुदित मो सों मन की करन लाग्यौ
मदन-मनोरथ पै मैं हू तुल गई री

क़हत बिहारी जो थी होनी, सो न होन पाई
का कहों कैसें कहों री बुद्धि डुल गई री

अङ्ग खुल गये, रति-रङ्ग खुल गये, नीबी –
बन्ध खुल गये, तौ लौं आँख खुल गई री 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.