अवधी गजल - जन गण मन अधिनायक होइगा। - अशोक अज्ञानी

जन गण मन अधिनायक होइगा।
गुण्डा    रहै,    विधायक   होइगा।

पढ़े – लिखे    करमन   का   र्‌वावैं,
बिना  पढ़ा   सब  लायक  होइगा।

जीवन  भर  अपराध  किहिस जो,
राम   नाम  गुण  गायक  होइगा।

कुरसी  केरि  हनक  मिलतै  खन,
कूकुर    सेरु   यकायक    होइगा।

गवा  गाँव  ते  जीति  केलेकिन
सहरन   का   परिचायक होइगा।

वादा    कइके    गा    जनता   ते,
च्वारन  क्यार सहायक होइगा।

जेहि   पर   रहै   भरोसा  सबका,
अग्यानी’   दुखदायक   होइगा।


ग़ज़लकार  अशोक ‘अग्यानी’
प्रस्तुति - धर्मेन्द्र कुमार सज्जन

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