अगर
अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत
ये
कलियुग है, इसे द्वापर समझ कर भाव
खाओ मत
हम
इनसाँ हैं, मुसीबत में - बहुत कुछ
भूल जाते हैं
अगर
इस दिल में रहना है तो फिर ये दिल दुखाओ मत
न
ख़ुद मिलते हो, ना मिलने की सूरत ही
बनाते हो
जो इन
आँखों में रहना है तो फिर आँखें चुराओ मत
भला
किसने दिया है आप को ये नाम 'दुःखभंजन'
सलामत
रखना है ये नाम तो दुखड़े बढ़ाओ मत
मुआफ़ी
चाहता हूँ, पर मुझे ये बात कहने दो
तुम
अपने भक्तों के दिल को दुखा कर मुस्कुराओ मत
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे
हजज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
क्या बात वाह!
ReplyDeleteआपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 28/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in उमड़ते आते हैं शाम के साये........आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी है...बुधवारीय हलचल ....पर लिंक की जाएगी. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
वाह, बहुत ख़ूब
ReplyDeleteदीनदयाल
ReplyDeleteकृपा करो दयालु
कृपानिधान
आपकी यह पोस्ट आज के (२६ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आया आया फटफटिया बुलेटिन आया पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteये इंसा ही स्वयं के कर्म से कष्टों में पड़ता है |
ReplyDeleteदोष भगवान पर लेकिन सदा वह अपने मढ़ता है|
मुआफ़ी चाहता हूँ, पर मुझे सच बात कहने दो,
मुस्कुराना स्वयं भूले उसे तो मुस्कुराने दो |
आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल मंगलवार (27-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. www.sriramroy.blogspot.in
ReplyDeleteये कलियुग है, इसे द्वापर समझ कर भाव खाओ मत
:)
जियो भैया ! कन्हैया कू उलहने घेर' दे डारे
बिरज के बाल कू मथुरा के मौजी ! ...यूं डराओ मत
-राजेन्द्र स्वर्णकार
नवीन जी
मेरी ख़ास पसंद की बह्र में लिखी आपकी यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी...
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें-
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
bahut khub :)
ReplyDelete_/\_
जयश्री कृष्ण !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteॐ भगवते वासुदेवाय नम:!
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
वाह नवीन जी ... क्या नायाब नगीने हैं इस गज़ल में ... गज़ब का अंदाज़े बयाँ ...
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ReplyDeleteजनाब! स्वामी युक्तेश्वर महराज जी के अनुसार यह द्वापर ही चल रहा है पर सभी माने तब न!
ReplyDeleteदेखिए-
युग थ्योरी ऑफ स्वामी युक्तेश्वर गिरि
क्या बात वाह!
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