लपेट कर रखे हैं मुख,चढ़ा रखे हैं आवरण
कमाल कर रहा है लोकतंत्र का वशीकरण
कमाल कर रहा है लोकतंत्र का वशीकरण
लपेट कर रखे हैं मुख,चढ़ा रखे हैं आवरण
कमाल कर रहा है लोकतंत्र का वशीकरण
कमाल कर रहा है लोकतंत्र का वशीकरण
दिखावटों में जी रहा है, आजकल का आदमी
लगाव है, न प्रेम है , हृदय में हैं ,समीकरण
लगाव है, न प्रेम है , हृदय में हैं ,समीकरण
बिरादरी के नाम पर, लुटे सभी हैं देख लो
रुला रहा है देश को, ये वोट का ध्रुवीकरण
रुला रहा है देश को, ये वोट का ध्रुवीकरण
शहीद हो, लड़े वही, सुधार सब वही करे
हरेक चाहता है बस, महापुरुष का अवतरण
हरेक चाहता है बस, महापुरुष का अवतरण
लिखे पढ़े सुजान ये , नशे में डूबते युवा
दशा बड़ी विचित्र है , न सूझता निराकरण
दशा बड़ी विचित्र है , न सूझता निराकरण
मनोदशा को भाँप कर , लड़े चिराग़ आस में
डरे तिमिर जहाँ उठे ये सूर्य की प्रथम किरण
डरे तिमिर जहाँ उठे ये सूर्य की प्रथम किरण
उजाड़ गुलशनों को भूल आ नई पहल करें
खिले हुए ये पुष्प हैं बहार के उदाहरण।
खिले हुए ये पुष्प हैं बहार के उदाहरण।
लहूलुहान वर्दियों ने, वो कहा कि "राज़"बस
ये भाव अब निःशब्द हैं कि रो पड़ी है व्याकरण
ये भाव अब निःशब्द हैं कि रो पड़ी है व्याकरण
राजकुमार कोरी "राज़"
बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें