नया काम
अगर ये दिन है तो इस बात का हवाला हो।
उजाला हो तो ज़रा देर तक उजाला हो॥
लहू हमारा ही पीते रहे हैं सदियों से।
नवाब हो कि नवाबों का हमपियाला हो॥
वो इस तरह से हमारा इलाज़ करते हैं।
कि जैसे जिस्म हमारा प्रयोगशाला हो॥
कुछ इस तरह से कई लोग रह रहे हैं याँ।
कि जैसे घर नहीं हो कर ये धर्मशाला हो॥
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अगर ये दिन है तो इस बात का हवाला हो
अगर ये दिन है तो इस बात का हवाला हो।
उजाला हो तो ज़रा देर तक उजाला हो॥
लहू हमारा ही पीते रहे हैं सदियों से।
नवाब हो कि नवाबों का हमपियाला हो॥
वो इस तरह से हमारा इलाज़ करते हैं।
कि जैसे जिस्म हमारा प्रयोगशाला हो॥
कुछ इस तरह से कई लोग रह रहे हैं याँ।
कि जैसे घर नहीं हो कर ये धर्मशाला हो॥
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अगर ये दिन है तो इस बात का हवाला हो
उजाला हो तो ज़रा देर तक उजाला हो
सियासतन ही सही पर वो यूँ जताते हैं
ग़रीब जैसे नवाबों का हमपियाला हो
ग़रीब जैसे नवाबों का हमपियाला हो
उजड़ता है तो उजड़ जाये ग़म किसी को नहीं
कि जैसे घर नहीं हो कर ये धर्मशाला हो
कि जैसे घर नहीं हो कर ये धर्मशाला हो
वो इस तरह से हमारा इलाज़ करते हैं
कि जैसे जिस्म हमारा प्रयोगशाला हो
क़बीले को तो ख़लीफ़ा ही चाहिये साहब
वो इक नवाब हो या फिर वो चायवाला हो
waaaaaaah waah naveen ji raat bana di aapki ghazal ne
ReplyDeletebahut achchhi gazal hai, badhai
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