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कुमार रवीन्द्र |
नए साल में वरिष्ट विद्वतजन का आशीर्वाद मिले, इस से बड़े सौभाग्य की बात और हो भी क्या सकती है| इस साल की पहली पोस्ट के लिए आदरणीय कुमार रवीन्द्र जी ने अपना नया नवेला नवगीत भेज कर हमें अनुग्रहीत किया है| आइये पढ़ते हैं उन का नवगीत - नववर्ष के सन्दर्भों तथा आदरणीय की शुभेच्छाओं के साथ:-
प्रियवर
नए ईस्वी सन २०१२ के शुभारम्भ पर मेरा हार्दिक अभिनन्दन स्वीकारें ! यह वर्ष आपके लिए सर्वविध अभ्युदय एवं नित-नूतन उपलब्धियों का हो, यही प्रभु से प्रार्थना है |
आपका
कुमार रवीन्द्र
नववर्ष का गीत
हाँ, चमत्कारी
सुबह यह
वर्ष की पहली किरण का मंत्र लाई
रात पिछवाड़े ढली
... आगे खड़े सोनल उजाले
साँस भी तो दे रही है
नये सपनों के हवाले
धूप ने भी लो
सुनहले कामवाली
मखमली जाजम बिछाई ......................
वक्त ने ली एक करवट और
मौसम हुआ कोंपल
उधर दिन संतूर की धुन
इधर वंशी झील का जल
और चिड़ियों की
चहक ने
चीड़वन की छाँव में नौबत बिठाई...........................
काश ! यह सपना हमारा
हो सभी का -
दिन धुले हों
आँख जलसाघर बने
हर ओर दरवाजे खुले हों
आरती की धुन
नमाज़ी की पुकारें
साथ दोनों दें सुनाई ..............
संपर्क :
क्षितिज ३१० अर्बन एस्टेट -२ हिसार -१२५००५
मोबाइल : ०९४१६९-९३२६४
ई -मेल : kumarravindra310@gmail.com
बहुत प्यारी कविता और मधुर कामनाएं..
ReplyDeleteशुभकामनाएँ.
नए वर्ष पर कुमार रवींद्र जी का ये शानदार नवगीत पढ़वाने के लिए नवीन भाई को बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteएक शानदार नवगीत जिसमें बिम्बों का अद्भुत और सर्वथा नवीन प्रयोग हुआ है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अद्भुत नवगीत...
ReplyDeleteसादर आभार..
सुन्दर नवगीत ...
ReplyDeleteनववर्ष की बहुत शुभकामनायें !
नव-वर्ष की मंगल कामनाएं ||
ReplyDeleteधनबाद में हाजिर हूँ --
//काश ! यह सपना हमारा
ReplyDeleteहो सभी का -
दिन धुले हों
आँख जलसाघर बने
हर ओर दरवाजे खुले हों //
सकारात्मकता और आशाओं से अभिसिंचित करता और मधुर शब्दों से सजा नव-गीत !
भाई नवीनजी को कुमार रवीन्द्र जी के मधुर गीत साझा करने के लिये हार्दिक बधाई और नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
शुभकामनायें !! जो आशीष जैसी लगती हैं और सन्देश कि मस्ज़िद की नमाज़ और आरती की धुन साथ साथ सुनाई दें - -- माँ शारदा का संगीत शतरूपा के आँगन में जब गूँजता है तो ऐसी ही कविता का सृजन होता है - और नवगीत का युगपुरुष क्या कहेगा -श्रेष्ठ और शुभ !!शत शत नमन कुमार रवीन्द्र जी को --
ReplyDeleteएक घरौन्दा अपना भी हो,
ऐसी मन की आस थी
नींव बनी आशा की ,
हमने छत डाली विश्वास की --मयंक
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सर्दी में स्वास्थ्य का रखें ख्याल - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteहृदय के द्वार खोल,
ReplyDeleteअब तो स्पष्ट बोल।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... अगले मोड तक साथ हमारा अभी बाकी है
बहुत सुंदर, प्यारा सा सकारात्मक नव गीत.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनव वर्ष पर बहुत ही प्यारा गीत।
ReplyDeleteआप सभी को नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत पावन गीत ...आपको भी नव वर्ष की मंगल कामनाए
ReplyDeleteआरती की धुन
ReplyDeleteनमाज़ी की पुकारें
साथ दोनों दें सुनाई ..............
वाह बहुत ही सुंदर विचार आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ....
waah sir bahut achcha..
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