हिमाचली गजल - पाह्या ऐ पळेस तिजो कुसा अलाचारिया - द्विजेन्द्र द्विज

 


पाह्या ऐ पळेस तिजो कुसा अलाचारिया 

बाँदर नचाणा  लगा  तिज्जो इ मदारिया

 

उमराँ जो ठगी लेया मोर भी धुआरिया

पैर जे बटाये फिरी ट्हाये नीं घुटारिया

 

बाब्बे सै बणाई दित्ते अज हुसियारिया

कह्डी लेया टैम जिह्नाँ चोरिया-चकारिया

 

मनदा नीं  तेरिया  मैं  इसा सरदारिया

सुह्न्डी दिया गुट्ठी दे गिद्दड़ पणसारिया !

 

कसरा  गुआई  लै तू अपणिया सारिया

छडा दी बमारी नीं जे छडी दे बमारिया

 

प्रेम्मे  दिया बाँईं  ईह्याँ  मत करैं खारिया

रूह्यी दा खियाल कर खल्लाँ दे बपारिया

 

भारी पौणाँ सुआसाँ पर धूड़ी कने जाळेयाँ

कर झम्ब-झाड़ हुण चुक तू बुहारिया

 

कमरे च औणा दे तू होआ धुप्प चानणी

उठी नै घुआड़  इसा ढुक्किया दुआरिया

 

ईह्याँ  पलकेरैं  मत  छैळ-बाँके मुन्नुएँ

घुप्पैं मत हिक्का सुन्ने दिया तू कटारिया

 

जुड़ेया नीं फिरी कदी कुसी भी सैह जुगती

दिल जेह्ड़ा चीरी दित्ता जीभा दिया आरिया

 

आखर तैं धरती जो लोह्णा भी ता हुँगा कदी

धाम्मे  जो इ  भरदा रैह बह्णी  तू डुआरिया

 

सारेयाँ इ साझियाँ जो नाप्पी ती तैं नोट्टाँ लई

सांजो भी खड़ोणे जो ता छड पटवारिया

 

दो हत्थ जित्ती फणसोआ दा तू ईह्याँ कजो

जूआ कदी होया भी है कुसी दा जुआरिया?

 

लाल मेरा धूड़ी बिच रुळा दा भ्याकणाँ

हिक्का कीह्याँ लाई लेयाँ छड्डी ने तगारिया

 

कम्म तेरा मंगणा है दुनिया ऐ जाणदी

कुसजो खरात देणी मूया तैं भखारिया

 

भंगा पी ने फ्हाइओ बस जीह्याँ है डरैबरैं

छुड़का दे बख कैंह नीं डडणाँ सुआरिया

 

हाक्खीं खोहड़ी दिख 'द्विज' मने दियाँ द्वाल्लां जो

कदी चमकेर  इसा ओबरिया न्हियारिया

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