ब्रजगजल - बरसाने तक अइवे में ही मेरी सगरी उमर गुजर गई - अनिमेष शर्मा 'अनिमेष'

 


बरसाने तक अइवे में ही  मेरी सगरी उमर गुजर गई

राधा तोय  रिझइवे में ही  मेरी सगरी उमर गुजर गई

 

तेरे  बिन  अब  नहीं  सटैगी  तो  पै  रीझ  गयो मेरौ  मन

इतनी बात  बतइवे में ही  मेरी सगरी  उमर गुजर गई

खूब  मनाये  एक  न माने  घर  वारे’न  नें  ब्या  कर डार्यौ

रूठी  नार  मनइवे  में ही  मेरी सगरी उमर गुजर गई

 

जब जब ज्यादा रूठी तौ गो जाय कें बैठ गयी पीहर में

फिर तो अइवे-जइवे में ही मेरी सगरी उमर गुजर गई

 

बनी  बनाई  बात  बिगर  गयी  इक तन्नक  सी  नादानी में

बिगरी बात  बनइवे में ही  मेरी सगरी उमर गुजर गई

 

सायर तौ मैं  भोत बड़ौ हूँ  सब जानै हैं  लेकिन  'आतिस'

फुटकर सेर सुनइवे में ही मेरी सगरी उमर गुजर गई

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