12 अप्रैल 2011

राम नवमी की शुभकामनायें

SHRI RAM


सभी साहित्य रसिकों को आज के पावन पर्व 'राम नवमी' की हार्दिक शुभ कामनाएँ|

हिन्दू धर्म के परम आराध्य देव, हमारे मन मन्दिर में सदा ही निवास करने वाले ऐसे मर्यादा पृरुषोत्तम भगवान श्री राम जी की अद्भुत लीला को जो यह बाल मन समझ पाया है, उसे शब्दाङ्कित करने का प्रयास किया है|

चौदह बरस वनवास स्वीकार कर के
वन-वन भटके जो वनवासी वेश में

अङ्गद-सुग्रीव-जामवन्त #जैसे दिग्गजों के-
साथ तालमेल, साध ले जो परदेश में

सुनिये 'नवीन'- लोक भावना को मान दे के,
प्राण प्रिय जानकी को, त्याग* दे निमेष में

ऐसे जनवादी-लोक हितकारी राम जी की,
फिर से ज़रूरत है आज इस देश में

छन्द:- घनाक्षरी कवित्त [इसे वृत्त के रूप में भी मान्यता प्राप्त है]

#एक यशस्वी राजा की प्रतापी सन्तान का पारिवारिक सुख शान्ति के लिए वनवास स्वीकार करना, वन में कई कष्टों को झेलना| वहाँ कई लोगों के कल्याण के लिए काम भी करना| वहीं मोह के वशीभूत हो कर उन की पत्नी का हरण हो जाना| पत्नी को ढूँढने के क्रम में एक मानव का वानर प्रजाति से गठबन्ध करना............................... भगवान श्री राम जी ने अपने जीवन के द्वारा हमारे लिए अनगिनत ऐसे उदाहरण उपस्थित किए हैं कि यदि गहनता से उन का अध्ययन किया जाए तो जीवन के कई क्लिष्ट क्लेशों का सहजता से हल प्राप्त किया जा सकता है|


* यहाँ मेरा तात्पर्य है कि जो व्यक्ति जन नायक है उसे जन भावना का सम्मान करते हुए अपनी सब से प्रिय वस्तु को त्यागने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए, जो कि आज के तथाकथित जन-नायकों में दिखती ही नहीं है| यह घटना एक प्रतीक मात्र है, इसे नारी कल्याण से जोड़ कर देखने का कष्ट न करें|

8 टिप्‍पणियां:

  1. रामनवमी पर्व की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभ-कामनाएं

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  2. हे राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है,
    कोई कवि बन जाये, सहज सम्भाव्य है।

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  3. रामनवमी पर्व की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभ-कामनाएं

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  4. राम नवमी की ढेरों शुभकामनायें...

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  5. आपको भी बहुत शुभकामनायें, नवीन भाई.

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