दिन दोपारै रात अठै !
सौ-सौ झंझावात अठै !
घात पछै पड़घात अठै !
किण सूं करलां बात अठै !
मिनखां सूं मिळ' के
मिळलां ?
मिनख जिनावर जात अठै !
साचो मिनख बण्यां मिलणी,
पग-पग मौत 'र
मात अठै !
भींतां ख़ूब, घणा
गोखा,
नीं आंगण, नीं
छात अठै !
नीति, धरम
सत पर चाल्यां',
भूंड मिलै, ...का लात अठै !
भोळां नैं भाठा-किरकिर,
कपट्यां नैं घी-भात अठै !
राजिंदर-अभिमन्यू ! चेत !
ब्यूह सात सौ सात अठै !
दोपारै – दोपहर, अठै - यहां/यहां पर, पड़घात – प्रतिघात, किण सूं – किससे, करलां – कर,
मिळ' - मिल कर, के – क्या, मिळलां -
मिल लें, साचो मिनख - सच्चा-खरा मनुष्य, बण्यां - बनने पर, मिलणी - मिलेगी/मिलनी तय है,
जिनावरजात - पशुवत (मानवीयता का अभाव), गोखा -
गवाक्ष/खिड़कियां/झरोखे, नीं - न तो, नीं
- न ही, भूंड - बुराई/निंदा, लात -
पैरों से प्रहार/ठोकर, भाठा – पत्थर, कपट्यां
नैं - कपटी-कुटिलजन को, चेत ! - सावधान हो जा !
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